लेखनी कविता -अपने आप में - भवानीप्रसाद मिश्र

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अपने आप में / भवानीप्रसाद मिश्र अपने आप में एक ओछी चीज़ है समय चीज़ों को तोड़ने वाला मिटाने वाला बने-बनाए महलों मकानों देशों मौसमों और ख़यालों को मगर आज सुबह ...

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